Tuesday, April 13, 2010

सुर-ताल व लय की बिखरी सुगंध

शास्त्रीय गायिका श्रीमति सुनंदा शर्मा ने दी भाव-विभोर प्रस्तुति

हनुमानगढ, 12 अप्रैल। शास्त्रीय गायिका श्रीमति सुनंदा शर्मा ने सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में संगीत की भीनी सुगन्ध बिखेरकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।



कार्यक्रम का आयोजन स्पिक मैके की नृत्य श्रृंखला के तहत जंक्शन स्थित ई-ज्ञान आईटीआई कॉलेज में किया गया। श्रीमति शर्मा ने कार्यक्रम का आरंभ राग जौनपुरी से किया। जिसमें उन्होंनें ‘मेरे कान भनकता परी लोरी’, मोरी मां, जब आवेंगे लालन मोरे मंदिरवा’’ गाये।
                                                                                           

               
उन्होंने अगली कडी में टप्पा ‘मियां नजरें नहीं आदां वे, मुखडा दिखाके दिल ले जादां वे’’ सुनाते हुए बताया कि पंजाब में ब्याह शादियों में गाए जाने वाले टप्पे में मुग्ल शासकों से उर्दु शब्द शामिल करते हुए शास्त्रीय संगीत की घुमावदार लहरियों का प्रयोंग किया जाता हैं। इसके बाद उन्होंने राग मिश्र देस में गाई गयी ठुमरी ‘हे मां कारी बदरिया बरसे, पिया नहीं आए’ प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन श्रोताओं की मांग पर ‘रंग डारूंगी नंद के लालन पे’ नामक होरी सुनाकर की। उनके गंभीर और स्पष्ट स्वर ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।



श्रीमति सुनंदा शर्मा बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका तथा पद्मभूषण श्रीमति गिरिजा देवी की सुयोग्य शिष्य हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत रूह की चीज हैं, व इसे रूह से ही महसूस किया जा सकता हैं। कार्यक्रम में तबले पर उनका साथ सरितदास, हारमोनियम पर जमीर खान व गायनप में सुश्री तृप्ति शर्मा ने दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

पठानकोट में जन्मी श्रीमति सुनंदा शर्मा के प्रथम गुरू उनके पिता सुदर्शन शर्मा हैं। उनके अनुसार लगन, समर्पण, धैर्य, उचित गुरू के द्वारा ही संगीत के क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। श्रीमति शर्मा का कहना हैं कि शास्त्रीय संगीत का दूसरा हिस्सा उपशास्त्रीय संगीत हैं। उपशास्त्रीय संगीत एक गुलदस्ता हैं, जिसकी गायकी में हमें थोडी छूट मिल जाती हैं। जीवन में संगीत के आ जाने से त्रुटियां समाप्त होने लगती हैं।

बनारस घराने की गायिका सुनंदा शर्मा ने ख्याल और पूरब अंग की ठुमरी, कजरी, चैतो, टप्पा आदि को गाने में अपना नाम जोडा हैं।

कार्यक्रम के अंत में ई-ज्ञान आईटीआई कॉलेज के संचालक हितेश शर्मा ने स्पिक मैके व कलाकारों का आभार व्यक्त किया। स्पिक मैके, हनुमानगढ के संरक्षक कर्नल राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि स्पिक मैके के माध्यम से ही आमजन ऐसे उच्चकोटि के कलाकारों से रूबरू हो सकते हैं। मंच का संचालन रजनी बब्बर ने किया।




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