Monday, April 26, 2010

 शिकारियों के मुंह का निवाला बनते वन्य जीव



सचिन बंसल/सुभाष गुप्ता



हनुमानगढ, 25 अप्रैल। ‘‘भूरे रंग के मासूम हरिण के पीछे खुंखार कुत्ते लगे हैं। वह बदहवास हालत में जान बचाने के लिए खेतों में दौडता जा रहा हैं, लेकिन कुत्तें ज्यादा फुर्तिले निकलते हैं। इसी दौरान कुत्तों का मालिक वहां पहुंच कर धारदार हथियार के एक ही वार से हरिण की गर्दन धड से अलग कर देता हैं।’’ ऐसे दृश्य हनुमानगढ जिले के विभिन्न खेतों में आम तौर पर देखने को मिल जाते हैं। खेतों में विचरण करने वाले हरिण तथा अन्य वन्य जीवों कों इधर इसी तरह से मारा जा रहा हैं। लगातार हो रहे शिकार की वजह से क्षेत्र में इन वन्य जीवों की तादाद लगातार घटती जा रही हैं।



इस क्षेत्र में नहरें आने के साथ खुशहाली आई तो साथ-साथ व्यसन भी बढे। मांस और मदिरा का चलन तो अब घर-घर हो गया। मांसाहारी लोग नित नए लजीज गोश्त की तलाश में रहने लगे। गांवों के बडे किसानों की लाइसेंसी/गैर लाइसेंसी बंदूके इन जीवों का सीना छलनी करने लगी। क्षेत्र में तीतर, खरगोश वगैरह का शिकार तो धडल्ले से होता ही हैं, सम्पन्न परिवारों के लोग हरिणों को मारकर खाने में कुछ ज्यादा ही रूचि लेते हैं। बंदूक की गोली हरिण पर चलाने से परहेज तो नहीं, लेकिन जब पालतू कुत्ते ही बंदूक का काम कर दें तो गोली जाया करना शिकार के ये शौकीन पसंद नहीं करते।



ग्रामीण क्षेत्रों में अपने मालिक के लिए हरिण को मार देने का काम कुत्ते बखूबी कर देते हैं और किसी के ऊपर शिकार का आरोप भी आमद नहीं होता। गत दिवस एक गांव में एक हरिण का शिकार इसी तरीके से किया गया। वन विभाग को इस बारे में पूरी जानकारी हैं, लेकिन वह कुछ नहीं कर पा रहा।

वन्य जीवों के शिकार की ताजा घटनाओं को देखे तो गत दिवस ही जिले के भिरानी थाना क्षेत्र में हरिण का, आठ एसपीडी में खरगोश का शिकार हुआ। इसके अलावा बीते वर्ष की बात करें तो सरदारपुर खालसा में एक साथ पांच मोरों का शिकार किया गया। इसके अलावा हरिण, खरगोश, नीलगाय के शिकार कई मामले थे। इन मामलों में ये वन्य जीव शिकारियों के हाथों मौत का शिकार हो गये, लेकिन बिश्ा*ोई समाज के लोगों की जागरूकता के कारण शिकारी इन वन्य जीवों को अपना निवाला नहीं बना सके तथा उनके खिलाफ मुकदमें भी दर्ज करवाए गए।

हनुमानगढ जिले में विभिन्न स्थानों पर गीदड, नीलगाय, सुअर, खरगोश, हरिण आदि वन्य जीव सैंकडों की तादाद में हैं। पक्षियों में मोर, तीतर, सैह, बगुला व बतख वगैरह पाए जाते हैं। इसके अलावा सांप और नेवले, गोह का शिकार करने से भी नहीं चुकते। संरक्षित क्षेत्र के अभाव में ये सभी पशु-पक्षी खुले खेतों में विचरण करते हैं और शिकारियों केहाथों शिकार हो रहे हैं। हनुमानगढ जिले में कैंचियां, लखासर, हरदयालपुरा, लिखमीसर, बिलौचावाली, गोलूवाला, जाखडांवाली, लुढाणा, रावतसर चोहिलांवाली, मैनावाली, गिलवाला, किशनपुरा उत्तरादा आदि स्थानों पर ये वन्य जीव पाए जाते हैं। हरिणों कें अलावा सबसे अधिक मौत की तलवार खरगोश और तीतरों पर लटकी रहती हैं। सैंकडों तीतर और खरगोशों को तकरीबन रोज मारकर निवाला बना लिया जाता हैं। खरगोश को एक विशेष प्रकार के लोहे के शिकंजे में फांसा जाता हैं। खेतों और झाडियों के इर्द-गिर्द ये शिकजें डाल दिए जाते हैं। रात के अंधेरे में जैसे ही खरगोश बिलों से बाहर निकलते हैं, इन शिकजों में उनकी टांगे फंसकर टूट जाती हैं। सुबह शिकारी उन्हें पकडकर मौत के घाट उतार देते हैं। शिकारी इन जीवों को पकडने के लिए करका, टोपीदार बंदूक, जहरीला दाना, गुलेल के अलावा शिकारी कुत्तों का इस्तेमाल करते हैं।

क्षेत्र में तीतर का शिकार भी बहुतायत से होता हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ जाति विशेष के लोग रोजाना बडी तादाद में तीतरों का शिकार करते हैं। वन विभाग के मापदंडों के अनुरूप वन्य जीवों की गणना जिस प्रकार वन्य प्राणियों के लिए संरक्षित क्षेत्रों में होती हैं, उस तरह से इस क्षेत्र में इन निरीह प्राणीयों की गणना भी वन विभाग उजागर नहीं करता। कभी हनुमानगढ में सियार, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, लोमडी, बंद तथा हरिण काफी संख्या में पाए जाते थे, लेकिन बढते शिकार के कारण आज इनमें से कई तो लुप्तप्रायः हो गये हैं तथा कुछ होने को हैं।

Tuesday, April 13, 2010


 : फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण :


मुर्गा बन किया प्रदर्शन

हनुमानगढ, 13 अप्रैल। फर्जी रजिस्ट्री से भूखण्डों पर काबिज होने के मामले में कार्यवाही नहीं होने के विरोध में आंदोलनरत नागरिक सुरक्षा मंच के सदस्यों ने आज मुर्गा बनकर प्रदर्शन किया। इस अनोखे प्रदर्शन का उद्देश्य शहीदों की प्रतिमा के समक्ष शर्मिंदगी महसूस करना रहा। जंक्शन स्थित भगत सिंह चौक पर आज प्रातः नागरिक सुरक्षा मंच के अध्यक्ष एडवोकेट शंकर सोनी, कर्नल राजेन्द्र शर्मा, चानणराम वर्मा, बार संघ के पूर्व अध्यक्ष जितेन्द्र सारस्वत, डीवाईएफआई के प्रदेशाध्यक्ष रघुवीर वर्मा, सीटू के रामकुमार, बलराम मक्कासर, अनिल कडवासरा, अमित गोदारा, पूर्व पालिकाध्यक्ष यादवन्द्र शर्मा आदि सदस्यों ने मुर्गा बनकर फर्जी भूखण्ड रजिस्ट्री प्रकरण के मामले में कोई कार्यवाही नहीं होने पर विरोध दर्ज कराया।




इस अवसर पर एडवोकेट शंकर सोनी ने कहा कि असामाजिक लोग किस तरह अव्यवस्थाओं पर हावी है इसका प्रमाण फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण से देखने को मिल रहा है। ऐसे में शहीदों की प्रतिमा के समक्ष शर्मिंदगी महसूस करने के अलावा कोई ओर चारा नहीं है। मुर्गा के रूप में प्रदर्शन के बाद नागरिक सुरक्षा मंच के सदस्यों ने यहां सांकेतिक धरना दिया। धरना के दौरान फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण मामले में पुलिस के विरूद्ध नारेबाजी की गई।

हनुमानगढ टाऊन स्थित टाइम्स शिक्षा महाविद्यालय में आयोजित रंगोली प्रतियोगिता के दौरान छात्राओं ने रंगोली के माध्यम से हमारे राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाने का संदेश दिया।

छाया ः राजेन्द्र वाट्स



सुर-ताल व लय की बिखरी सुगंध

शास्त्रीय गायिका श्रीमति सुनंदा शर्मा ने दी भाव-विभोर प्रस्तुति

हनुमानगढ, 12 अप्रैल। शास्त्रीय गायिका श्रीमति सुनंदा शर्मा ने सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में संगीत की भीनी सुगन्ध बिखेरकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।



कार्यक्रम का आयोजन स्पिक मैके की नृत्य श्रृंखला के तहत जंक्शन स्थित ई-ज्ञान आईटीआई कॉलेज में किया गया। श्रीमति शर्मा ने कार्यक्रम का आरंभ राग जौनपुरी से किया। जिसमें उन्होंनें ‘मेरे कान भनकता परी लोरी’, मोरी मां, जब आवेंगे लालन मोरे मंदिरवा’’ गाये।
                                                                                           

               
उन्होंने अगली कडी में टप्पा ‘मियां नजरें नहीं आदां वे, मुखडा दिखाके दिल ले जादां वे’’ सुनाते हुए बताया कि पंजाब में ब्याह शादियों में गाए जाने वाले टप्पे में मुग्ल शासकों से उर्दु शब्द शामिल करते हुए शास्त्रीय संगीत की घुमावदार लहरियों का प्रयोंग किया जाता हैं। इसके बाद उन्होंने राग मिश्र देस में गाई गयी ठुमरी ‘हे मां कारी बदरिया बरसे, पिया नहीं आए’ प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने कार्यक्रम का समापन श्रोताओं की मांग पर ‘रंग डारूंगी नंद के लालन पे’ नामक होरी सुनाकर की। उनके गंभीर और स्पष्ट स्वर ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।



श्रीमति सुनंदा शर्मा बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका तथा पद्मभूषण श्रीमति गिरिजा देवी की सुयोग्य शिष्य हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत रूह की चीज हैं, व इसे रूह से ही महसूस किया जा सकता हैं। कार्यक्रम में तबले पर उनका साथ सरितदास, हारमोनियम पर जमीर खान व गायनप में सुश्री तृप्ति शर्मा ने दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

पठानकोट में जन्मी श्रीमति सुनंदा शर्मा के प्रथम गुरू उनके पिता सुदर्शन शर्मा हैं। उनके अनुसार लगन, समर्पण, धैर्य, उचित गुरू के द्वारा ही संगीत के क्षेत्र में कदम रखना चाहिए। श्रीमति शर्मा का कहना हैं कि शास्त्रीय संगीत का दूसरा हिस्सा उपशास्त्रीय संगीत हैं। उपशास्त्रीय संगीत एक गुलदस्ता हैं, जिसकी गायकी में हमें थोडी छूट मिल जाती हैं। जीवन में संगीत के आ जाने से त्रुटियां समाप्त होने लगती हैं।

बनारस घराने की गायिका सुनंदा शर्मा ने ख्याल और पूरब अंग की ठुमरी, कजरी, चैतो, टप्पा आदि को गाने में अपना नाम जोडा हैं।

कार्यक्रम के अंत में ई-ज्ञान आईटीआई कॉलेज के संचालक हितेश शर्मा ने स्पिक मैके व कलाकारों का आभार व्यक्त किया। स्पिक मैके, हनुमानगढ के संरक्षक कर्नल राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि स्पिक मैके के माध्यम से ही आमजन ऐसे उच्चकोटि के कलाकारों से रूबरू हो सकते हैं। मंच का संचालन रजनी बब्बर ने किया।

Friday, April 9, 2010

सिरसा जहां हर रोज होता है रक्तदान

1 लाख से भी अधिक रक्तदाता हर वक्त रहते है रक्तदान के लिए तैयार


राजेन्द्र कुमार

सिरसा, 9 अप्रैल। बशर्ते भौगोलिक लिहाज से सिरसा जिला हरियाणा प्रदेश के पश्चिमी छोर पर है मगर बात रक्तदान की आए तो सिरसा ने समुचे हिंदुस्तान में एवरेस्ट को छू लिया है। ऐसा कोई दिन नहीं जब जिला सिरसा के किसी कोने में रक्तदान शिविर का आयोजन न होता हो। प्रदेश में शैक्षणिक लिहाज से हमेशा ही पिछडा कहे जाने वाले इस जिला के लोगों में रक्तदान के प्रति अलख जगाने का श्रेय यहां के जिला उपायुक्त युद्धबीर सिंह ख्यालिया को जाता है। रक्तदान में सर्वप्रथम छह घंटे के समयकाल में 2451 यूनिट रक्त एकत्रित कर सिरसा ने 1॰ जनवरी 1997 को विश्व की गिनीज बुक अपना नाम दर्ज करवाया है। आज के दिन भी सिरसा जिला से जुडे डेरा सच्चा सौदा का 17 हजार 921 यूनिट रक्त एकत्रित करने का विश्व रिकार्ड कायम है।

चिरकाल से जिला सिरसा की ग्रामीण पृष्ठभूमि में विराजमान मृत्युभोज, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा अगर आज के हालातों को देखे तो बीते जमाने की बात लगती है। रक्तदान के प्रति जगी अलख का हश्र यह है कि आज पूण्यतिथि, विवाह, जन्मोत्सव, सेवानिवृति, प्रतिष्ठान स्थापना वर्षगांठ जैसे समारोह में नित्य प्रति कुरीतियां दोहराए जाने की बजाय रक्तदान का आयोजन हो रहा है। सिरसा में 26 अगस्त 1999 को तत्कालीन उपमंडलाधीश युद्धबीर सिंह ख्यालिया के प्रयासों से शिव शक्ति ब्लड बैंक की स्थापना हुई तो लोग रक्तदान का नाम लेने से कांपते थे। किसी के शारीरिक कमजोरी का भय था तो किसी के नेत्र ज्योति चले जाने का, मगर आज हालात कतई विपरीत है। शादी का आयोजन हो या फिर मृत्यु उपरांत बारहवीं की रस्म तो जहां एक ओर पंडित जी धार्मिक अनुष्ठान करते है तो दूसरी और सजा होता है रक्तदान का दीवान। जब से युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने सिरसा के जिला उपायुक्त का कार्यभार संभाला है तब से रक्तदान तो मानो दिनचर्या का एक हिस्सा बनकर रह गया है। सिरसा जिला की ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुडी महिलाएं जहां कभी घुंघट का पट नहीं खोलती, आज रक्तदान के लिए बाजू में 16 जी की सुई से रक्तदान के लिए कतई चुभन महसूस नहीं करती। महिलाओं में रक्तदान के प्रति जागृति पैदा करने का श्रेय जिला उपायुक्त की धर्मपत्नी श्रीमती किरण ख्यालिया को जाता है। जिला के किसी भी कोने में रक्तदान का आयोजन हो रहा हो तो उपायुक्त दंपत्ति को सहज ही पाया जा सकता है।

रक्तदान आयोजन कर्ताओं के छोटे से आग्रह पर जिला उपायुक्त तुरंत रक्तदाताओं के बीच हाजिर होते है। इतना ही नहीं, स्वयं भी रक्तदान के लिए उनके बराबर लेट जाते है। उपायुक्त ख्यालिया जब गांव में केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के कार्यक्रमों में शिरकत करते है तो रक्तदान को लेकर उनके मुख से रक्तदान को लेकर बरबस शब्द निकल ही पडते है। ख्यालिया द्वारा किया गया रक्तदान अनगिनत है। शिव शक्ति ब्लड बैंक ने जिला के जन-जन के इस पुण्य कार्य में मिले सहयोग के बाद निर्णय लिया है कि जिला से जुडे किसी भी मरीज को कतारबद्ध नहीं खडा होना पडेगा वहीं बदले में रक्तदान की भी आवश्यकता नहीं है। रक्त के प्रयोगशाला में जांच के बदले मात्र 35॰ रुपए अदायगी देनी पडती है जो समुचे हिंदुस्तान में सबसे कम है। इतना ही नहीं, अगर सिरसा जिला से जुडा कोई मरीज चंडीगढ या दिल्ली जैसे मैट्रो सिटी में जाकर रक्त की इच्छा जाहिर करे तो वहां भी उसे आसानी से रक्त उपलब्ध होता है।

इस संदर्भ में जिला उपायुक्त युद्धबीर सिंह ख्यालिया का कहना है कि उनका प्रयास है कि समुचा प्रदेश ही नहीं बल्कि देश रक्तदान में इतना सक्षम हो जाए कि आवश्यकता पडने पर चंद सैकिंड में रक्त हासिल हो सके। उपायुक्त ख्यालिया रक्तदान के लिए प्रेरणा देने के लिए रोहतक में आयोजित एक कार्यक्रम में स्टेट अवार्ड से सुशोभित हो चुके है। उन्होंने बताया कि 8 मई को विश्व रैडक्रॉस दिवस पर हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिया सिरसा में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में रक्तदान करने वाली विभूतियों को सम्मानित करेंगे। रक्तदान में सिरमौर पर पहुंचे सिरसा ने आपात अवस्था में रक्तदान की उपलब्धता के लिए सिरसा जिला में 1 लाख 4 हजार 2॰॰ स्वैच्छिक रक्तदाताओं की पहचान वैबसाईट पर उपलब्ध है, दुनिया का कोई भी जरुरतमंद व्यक्ति 222.ड्ढह्म्ड्ड1श्ाड्ढद्यश्ाश्ास्रस्रश्ाठ्ठश्ाह्म्.श्ाह्म्द्द पर स्वैच्छिक रक्तदाता के मोबाईल नंबर पर संफ कर स्वैच्छिक रक्तदाता से रक्त ले सकता है।

श्री ख्यालिया रक्तदान के प्रति सिरसा जिला के लोगों में जागृति के लिए जिला के उन लोगों को ही श्रेय का पात्र मानते है जिन्होंने इस पुण्य कार्य में अपना पूर्ण सहयोग दिया। शिव शक्ति ब्लड बैंक के अध्यक्ष डा. वेद बैनीवाल ने बताया कि बीते वर्ष में 385 शिविर आयोजित किए गए जिनमें 39 हजार 8॰2 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ। वहीं दूसरी और डेरा सच्चा सौदा हर माह देश के वीर जवानों की खातिर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित कर इंडियन आमर्ड ट्रांसफ्यूजन सैंटर दिल्ली को 6॰॰ यूनिट रक्तदान प्रदान रकता है।

Sunday, April 4, 2010

’बजरंग बाण‘ गानेवाली पहली भजन सिंगर‘ - म्ाजू भाटिया

प्रस्तुति ः अशोक भाटिया मुंबई से
पिछले तीस साल से बिना किसी शौर शराबे या चर्चा के कृष्ण भक्ति में लीन भजन गायिका मंजू भाटिया देश विदेश में लगातार कृष्ण के भजनों की खूश्बू फैलाती आ रही हैं । बरसों से हरे रामा हरे कृष्णा मंदिर से अटैच मंजू भाटिया को उनके इस पवित्र कार्य के सदके हाल ही में मुबंई की एक मात्र सोशल वूमैन संस्था शैला वैल फेयर ट्रस्ट ने सम्मानित किया है । कृष्ण भजन गाते गाते अचानक मंजू जी ’बजरंग बाण‘ जैसा अध्याय गाकर पहली ऐसी भजन गायिका बन गई । जिसने इस अध्याय को गाने की हिम्मत दिखाई, वरना अभी तक हनुमान चालीसा तो लता मंगेशकर के अलावा कुछ और गायिकाओं ने भी गाया,लेकिन बजरंग बाण जैसे अध्याय को अभी तक किसी महिला गायिका ने नहीं गाया । इन दिनो साधना चैनल पर मंजू भाटिया द्वारा गाये बजरंग बाण की धूम मची हुई हैं । लिहाजा चैनल इसे दिन और रात बार बार प्रसारित कर रहा है । मीडिया के बीच लोकप्रिय मंजू जी से हाल ही में बजरंग बाण को लेकर एक छोटी सी बातचीत

- बजरंग बाण गाने की कोई खास वजह ?

दरअसल हनुमान एक ऐसे देवता रहे हैं,जिन्होंने बृह्मचर्य वृत लिया हुआ था । लिहाजा महिलायें उन से हमेशा दूर ही रहीं । लेकिन बरसों से ना जाने क्यों मैं ये धार्मिक अध्याय गाना चाहती थी । शायद उसकी भी वजह थी ?

- क्या ?
मैं जब छोटी थी तो मेरी मां बजरंग बाण गाया करती थी । जिसे मैं बहुत ध्यान से सुना करती थी । उसके बाद मैं जब मैं विधिवत रूप से भजन गाने लगी तो अक्सर मेरे दिमाग में इसे लेकर एक बात आती थी,कि मेरी मां भी तो एक महिला थी,और वे बजरंग बाण गाती थी,तो मैं क्यों नहीं । लिहाजा मैने इसे गाने का फैसला कर लिया ।

- इसे गाने के बाद क्या प्रतिकि्रयायें हासिल हुई ?
अरे भैया,पहले तो मुझे कितने ही लोगों ने टोकते हुये कहा था,कि अरे बजरंग बाण मत गाना,इसे सिर्फ पुरूष ही गाते हैं । लेकिन मैं जब उनसे वजह पूछती तो वे चुप हो जाते । और गाने के बाद जब मैं इसे लेकर एक चैनल पर गई तो सुनने के बाद उन्होंने इसे हाथों हाथ लिया । बाद में तो कई चैनलों ने इसे प्रसारित किया । आज भी ये साधना चैनल पर बार बार प्रसारित हो रहा है ।

- बजरंग बाण कब और क्यों गाया जाता है ?
दरअसल हनुमान विध्नहर्ता के रूप में विख्यात हैं,भूत प्रेतों तथा अन्य राक्षसी और शनि विपदाओं को वे पल भर में हर लेते हैं । लिहाजा इसे मंगलवार तथा शानिवार को गाया जाता है ।

- आफ द्धारा गाये गये रामायण के श्लोक भी काफी लोकप्रिय हुये थे ?
दरअसल रामायण का पाठ करीब दस दिनों में खत्म होता है । बाद में इसे एक सो आठ दोहों में इस प्रकार पिरोया गया कि आप रोजाना एक घंटे में पूरी रामायण का पाठ कर सकते थे । आप यकीन करेंगे ,मैने पहली दफा ’रामायण 108 मनके‘ 1986 में गाया था,उस दौरान इसे काफी पंसद किया गया था । लेकिन 2006 में साधना चैनल ने इसे नये सिरे से नई साज सज्जा के साथ रिलीज किया तो ये पहली बार से कहीं ज्यादा पापूलर हुआ था ।

- कुछ सालों से भजन प्रचार से दूर होता जा रहा है । कोई खास वजह ?
नहीं भैया, भजन कभी प्रचार से दूर नहीं हुआ,हां प्रचार का तरीका जरूर बदल गया है । वरना आप ही बताईये,पहले धार्मिक चैनल कितने हुआ करते थे ? लेकिन आज दर्जनो धार्मिक चैनल हैं । बाबा राम देव तो आज एक स्टार का दर्जा रखते हैं ।

- और अगर यंगस्टर की बात करें तो ?
तो मैं कहना चाहूंगी कि अगर यगंस्टर की भक्तिभावना देखनी हो तो इस्कॉन मंदिर,सिद्धी विनायक मंदिर,महालक्ष्मी मंदिर या फिर साई बाबा के दर्शनों हेत् शिर्डी जाकर देखिये । आपको स्वंय पता लग जायेगा कि यंगस्टर्स आज ईश्वर को हमसे ज्यादा मानता है ।

- आप प्रचार से हमेशा दूर रहती हैं?
देखिये, मैं कोई कोई लता मंगेशकर या आशा भोंसलें तो हूं नहीं,और ना ही मैं बहुत बडी सिंगर हूं । फिर भी आप लोगों का प्यार देखकर आप लोगों से हमेशा जुडी रही हूं । बस मेरे लिये इतना ही काफी है ।

- एक भजन सिंगर में क्या क्या विशेषतायें होनी चाहिये ?
कोई जरूरी नहीं कि एक भजन सिंगर बहुत ज्यादा सुरीला या गायन का महारथी ही हो । भजन गायन भक्ति और श्रद्धा से जुडा हुआ है । इसलिये भक्ति गायन ऐसी आस्था से जुडा होना चाहिये जिसे सुनकर कोई भी भावविभोर हो भक्ति में लीन हो जाये । आपको एक उदाहरण देती हूं । एक बार मेरा कार्यक्रम चौपसटी पर हो रहा था,तभी बीच में एक बूढा भिखारी मेरे पास मुच पर आया और उसने अपने भीख के कटोरे में से पांच रूपये निकाल कर मेरे हाथ पर रखे और फिर नमन कर चलता बना । बाद में कितनी ही देर तक मैं उन पांच रूपयो को देखती रही, फिर मैने सोचा कि ये शायद मेरे लिये भगवान का दिया हुआ परसाद था,लिहाजा मैने आज भी मैने वो पांच का नोट संभाल कर रखा हुआ है ।

- आफ अभी तक कितने एलबम रिलीज हो चुके हैं ?
वैसे तो मैने ज्यादातर लाइव ही गाया है । फिर भी अभी तक तीस एलबम तो रिलीज हो ही चुके हैं । और अब ये बजरंग बाण वीडियो एलबम बाजार में है ।

Dainik Ibadat 27 April 2024